नई दिल्ली, जून 2025 –
महिला सुरक्षा, मानवाधिकार और पुलिस सुधार के मोर्चे पर केंद्र सरकार और न्यायपालिका ने मिलकर एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। 2025 की शुरुआत में लागू हुए नए कानूनों और संशोधनों ने न्याय व्यवस्था और सुरक्षा प्रणाली को पहले से ज्यादा जवाबदेह और पारदर्शी बना दिया है।

🔒 1. महिला सुरक्षा से जुड़ा नया कानून
2025 में संसद ने एक नया संशोधन पारित किया है जिसमें महिलाओं के खिलाफ अपराधों की त्वरित सुनवाई और सज़ा को अनिवार्य किया गया है।
➡️ अब POCSO एक्ट में बदलाव कर नाबालिग पीड़िता के केस में 60 दिनों के भीतर ट्रायल पूरा करना अनिवार्य कर दिया गया है।
➡️ महिला थानों की संख्या हर जिले में दोगुनी की जाएगी और रात के समय FIR दर्ज न करने पर जिम्मेदार अफसर के खिलाफ कार्रवाई तय होगी।
🧑⚖️ 2. पुलिस हिरासत में मानवाधिकार उल्लंघन पर सख्त निर्देश
मानवाधिकार आयोग ने हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया कि भारत में पुलिस हिरासत में हो रही मौतों का ग्राफ चिंताजनक है।
इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट निर्देश दिए हैं:
- हर थाने में CCTV रिकॉर्डिंग अनिवार्य
- हिरासत में व्यक्ति के मेडिकल चेकअप का वीडियो रिकॉर्ड होना अनिवार्य
- दोषी पुलिसकर्मियों पर गैर-इरादतन हत्या तक की धाराएं लग सकती हैं
➡️ अब कोई पुलिसकर्मी “हिरासत में मौत” को छुपा नहीं पाएगा।
📜 3. कानून में क्या बदला गया है?
पुराना सिस्टम | नया बदलाव 2025 |
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FIR में देरी | अब FIR दर्ज न करने पर 15,000 रु. जुर्माना |
महिला शिकायत के लिए सीमित समय | अब 24×7 महिला हेल्पलाइन पूरी तरह सक्षम |
हिरासत में जांच पर पुलिस का नियंत्रण | अब मेडिकल बोर्ड की निगरानी जरूरी |
❓ इससे आपको क्या फर्क पड़ेगा?
- महिलाएं पहले से ज्यादा सुरक्षित और सशक्त महसूस करेंगी
- आम जनता के अधिकार होंगे सुनिश्चित और संरक्षित
- पुलिस व्यवस्था में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ेगी
भारत के लिए यह समय बदलाव का है। कानून का यह नया चेहरा न केवल महिलाओं की रक्षा करेगा, बल्कि हर आम नागरिक को यह एहसास दिलाएगा कि कानून उसके साथ है, उसके खिलाफ नहीं।

👉 महिला सुरक्षा कानून 2025 से जुड़े अधिकारों, शिकायत प्रक्रिया और सरकारी उपायों की विस्तृत जानकारी के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर रिपोर्ट पढ़ें।